KVS vs NVS: आपके बच्चे के लिए KVS सही या NVS जाने कहां एडमिशन करवाना होगा सही दोनों के बीच का अंतर

KVS vs NVS
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KVS vs NVS: भारत में शिक्षा को लेकर अभिभावकों के मन में हमेशा से यह सवाल रहता है कि सरकारी स्कूलों में से किसमें अपने बच्चे का एडमिशन कराएं? विशेषकर जब बात KVS vs NVS की हो तो यह निर्णय और भी कठिन हो जाता है।

दोनों ही स्कूल भारत सरकार द्वारा संचालित हैं लेकिन इनकी संरचना, उद्देश्य, प्रवेश प्रक्रिया और सुविधाएं एक-दूसरे से काफी अलग हैं।

KVS vs NVS: उद्देश्य और स्थापना

केंद्रीय विद्यालय (KVS) की स्थापना 1963 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य ट्रांसफरेबल जॉब्स में लगे केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसका संचालन केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा होता है, जो शिक्षा मंत्रालय के अधीन आता है।

नवोदय विद्यालय (NVS) की शुरुआत 1986 में हुई और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली छात्रों को मुफ्त में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देना है। इन स्कूलों का संचालन नवोदय विद्यालय समिति करती है, जो सीधे शिक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करती है।

एडमिशन प्रक्रिया में अंतर

KVS vs NVS के सबसे बड़े फर्क की बात करें तो वह है इनकी प्रवेश प्रणाली। केवीएस में कक्षा 1 में प्रवेश लॉटरी सिस्टम से होता है और कक्षा 2 से ऊपर के लिए सीटों की उपलब्धता पर एडमिशन मिलता है। यहां प्राथमिकता केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को दी जाती है।

वहीं JNV में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा आयोजित की जाती है। कक्षा 6 में प्रवेश के लिए JNVST परीक्षा अनिवार्य है, जबकि कक्षा 9 और 11 के लिए भी सीमित सीटों पर प्रवेश परीक्षा होती है।

फीस स्ट्रक्चर कहां पढ़ाई सस्ती

Kendriya Vidyalaya में फीस काफी किफायती है। आमतौर पर ₹500 से ₹1000 प्रति माह तक की फीस ली जाती है। साथ ही SC/ST वर्ग और लड़कियों के लिए शिक्षा मुफ्त है।

इसके विपरीत, Navodaya Vidyalaya में पढ़ाई पूरी तरह मुफ्त है। किताबें, यूनिफॉर्म, हॉस्टल, भोजन – सबकुछ सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। केवल कक्षा 9 से ऊपर के छात्रों से एक मामूली राशि ₹600 प्रति माह ली जा सकती है।

स्थान और पहुंच

KVS ज्यादातर शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में स्थित हैं जहां केंद्रीय कर्मचारी तैनात रहते हैं। भारत में इनके कुल 1253 विद्यालय हैं।

NVS का ढांचा ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित है। हर जिले में एक नवोदय विद्यालय स्थापित किया गया है, जिससे गांवों के होनहार बच्चों को अवसर मिल सके। इनकी संख्या 661 है और दिसंबर 2024 में कुछ नए विद्यालयों की भी घोषणा हुई है।

हॉस्टल सुविधा: KVS vs NVS में कौन बेहतर

केवीएस मुख्यतः डे-स्कूल हैं। केवल कुछ ही स्कूलों में हॉस्टल सुविधा उपलब्ध है, जैसे कि KV IIT चेन्नई। वहीं दूसरी ओर, JNV पूर्णतः आवासीय विद्यालय हैं, जहां छात्र कक्षा 6 से 12 तक हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणाम

KVS vs NVS की तुलना में अगर पढ़ाई के स्तर की बात करें तो दोनों ही CBSE से संबद्ध हैं। केवीएस में अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों में शिक्षा दी जाती है, जबकि नवोदय में क्षेत्रीय भाषाओं को भी महत्व दिया जाता है।

परीक्षा परिणामों की बात करें तो नवोदय विद्यालय के छात्र बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे JEE, NEET) में भी शानदार प्रदर्शन करते हैं। वहीं केवीएस के छात्र भी अच्छा करते हैं, लेकिन प्रतियोगी स्तर पर नवोदय का रुझान थोड़ा अधिक दिखाई देता है।

सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर

KVS में बुनियादी सुविधाएं जैसे कि साइंस लैब, कंप्यूटर लैब और लाइब्रेरी उपलब्ध हैं, लेकिन यह मुख्यतः बड़े शहरों में बेहतर रूप में देखने को मिलती हैं।

Navodaya Vidyalaya में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जैसे कि स्मार्ट क्लास, खेल के मैदान और हॉस्टल – और वह भी ग्रामीण क्षेत्रों में। यह बात इन्हें विशेष बनाती है।

निष्कर्ष: आपके लिए कौन सा बेहतर

अगर आप शहरी क्षेत्र में रहते हैं और आपका ट्रांसफरेबल जॉब है तो Kendriya Vidyalaya एक सुविधाजनक और गुणवत्तापूर्ण विकल्प हो सकता है।

लेकिन अगर आप ग्रामीण क्षेत्र से हैं और चाहते हैं कि आपका बच्चा मुफ्त और उच्च स्तरीय शिक्षा के साथ-साथ एक अनुशासित वातावरण में पढ़े तो Navodaya Vidyalaya निश्चित ही एक बेहतरीन विकल्प है।

इस तरह KVS vs NVS की तुलना करते हुए आप अपने बच्चे के भविष्य को देखते हुए सही निर्णय ले सकते हैं। दोनों ही संस्थाएं भारतीय शिक्षा व्यवस्था का गौरव हैं फर्क सिर्फ जरूरत और प्राथमिकता का है।

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