Google Beam: गूगल ने लॉन्च किया नया AI फीचर जो पलक झपकते वीडियो को कर देगा 3D में कन्वर्ट

Google Beam: गूगल ने अपने वार्षिक डेवलपर इवेंट Google I/O 2025 में कई बड़े तकनीकी नवाचारों की घोषणा की जिनमें सबसे खास रहा Google Beam

यह एक नया AI आधारित 3D वीडियो कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म है जो अब तक के Project Starline का रीब्रांडेड और हाई वर्जन है। इस अत्याधुनिक फीचर की मदद से अब वीडियो कॉल्स को 3D एक्सपीरियंस में बदला जा सकेगा।

इन दिनों सोशल मिडिया पर Google Beam काफी छाया हुआ है। आने वाले दिनों में गूगल का ये AI Google Beam लोगो के काम आसान करने वाला है। यदि आप अभी तक Google Beam के बारे में नही जानते है तो आइये आज हम आपको Google Beam के बारे में विस्तार से जानकारी देते है।

क्या है Google Beam

Google Beam एक AI-पावर्ड प्लेटफॉर्म है जो पारंपरिक 2D वीडियो को अत्यधिक रीयलिस्टिक 3D एक्सपीरियंस में बदलने की क्षमता रखता है।

गूगल के अनुसार इसमें वेब कैमरा एरे और एडवांस्ड हेड ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग होता है जिससे अलग-अलग एंगल से ली गई इमेजेज को एक साथ मर्ज कर 3D लाइट फील्ड डिस्प्ले तैयार किया जाता है।

यह टूल 60 फ्रेम प्रति सेकंड की दर से 3D वीडियो रेंडर कर सकता है। इसके AI वॉल्यूमेट्रिक वीडियो मॉडल की वजह से बातचीत का अनुभव और भी शानदार हो जाता है जिसमें आई कॉन्टैक्ट, डेप्थ और हावभाव की छोटी झलक भी महसूस की जा सकती है।

Project Starline की जगह लेगा Beam

गूगल का Google Beam असल में Project Starline का उन्नत रूप है जिसे सबसे पहले 2021 में पेश किया गया था।

उस समय इसका उद्देश्य था 3D वीडियो को नेचुरल स्केल पर रेंडर कर रीयल टाइम कम्युनिकेशन को और प्रभावशाली बनाना। Beam अब उसी सपने को और अधिक व्यावहारिक रूप में सामने ला रहा है।

Google Meet में होगा सबसे पहले इस्तेमाल

गूगल ने जानकारी दी है कि Google Beam को सबसे पहले Google Meet के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि मीटिंग्स अब और ज्यादा इंटरेक्टिव और इमर्सिव होंगी।

इसके अलावा गूगल HP के साथ मिलकर इस तकनीक के लिए डेडिकेटेड डिवाइस भी डेवलप कर रहा है जो साल 2025 में ही बाजार में उपलब्ध हो सकता है। इसे InfoComm 2025 इवेंट में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

रियल टाइम स्पीच ट्रांसलेशन भी होगा संभव

गूगल Beam के साथ रियल टाइम स्पीच ट्रांसलेशन फीचर भी जोड़ने पर काम कर रहा है। इसका सीधा फायदा ये होगा कि अलग-अलग भाषा बोलने वाले यूजर्स भी एक-दूसरे से बिना बाधा के संवाद कर सकेंगे।

यह तकनीक खासतौर पर ग्लोबल कॉर्पोरेट मीटिंग्स और मल्टी-नेशनल टीम्स के लिए वरदान साबित हो सकती है।

Gemini AI को भी मिला बड़ा अपडेट

Google Beam के साथ ही गूगल ने अपने AI मॉडल Gemini को भी अपडेट किया है। अब इसे एक AI ऑपरेटिंग सिस्टम के तौर पर डेवलप किया जा रहा है।

Gemini 2।5 अब न सिर्फ टेक्स्ट बल्कि वीडियो, ऑडियो और इमेज इनपुट्स को भी समझने में सक्षम है। इसका इस्तेमाल जल्द ही जीमेल, डॉक्स, मीट, कैलेंडर जैसे गूगल टूल्स में देखने को मिलेगा।

Chrome ब्राउज़र में भी शामिल होगा Gemini

गूगल अब क्रोम ब्राउज़र में भी Gemini को जोड़ रहा है। इससे जब भी कोई यूजर कोई वेबसाइट खोलेगा, जेमिनी उस पेज का सारांश और जरूरी जानकारी तुरंत प्रदान कर सकेगा। यह फीचर खासकर छात्रों, पत्रकारों और रिसर्चर्स के लिए बेहद उपयोगी होगा।

भविष्य की झलक सोचने और समझने वाली मशीनें

Google Beam और Gemini जैसे टूल्स यह दर्शाते हैं कि गूगल भविष्य में किस दिशा में बढ़ रहा है। अब मशीनें केवल जानकारी नहीं देंगी, बल्कि वह जानकारी को समझेंगी भी और उसे यूजर के लिए ज्यादा उपयोगी और प्रभावशाली बना सकेंगी।

3D वीडियो कम्युनिकेशन से लेकर स्मार्ट ब्राउज़िंग तक गूगल AI की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत कर चुका है।

निष्कर्ष

Google Beam न सिर्फ एक नया तकनीकी उत्पाद है, बल्कि यह भविष्य के वर्चुअल कम्युनिकेशन की नींव है।

जैसे-जैसे AI और वर्चुअल रियलिटी का दायरा बढ़ेगा ऐसे टूल्स हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे।

Beam और Gemini जैसे इनोवेशन दर्शाते हैं कि आने वाले समय में हमारी बातचीत हमारी सोच और हमारे कार्य करने के तरीके पूरी तरह से बदलने वाले हैं।

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